Bible

Upgrade

Your Church Presentations in Minutes

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

1 Peter 4

:
Hindi - HSB
1 अतः जब मसीह ने शरीर में दुःख उठाया, तो तुम भी उसी अभिप्राय से अपने हथियार बाँध लो—क्योंकि जो शरीर में दुःख उठाता है वह पाप से छूट जाता है—
2 ताकि शरीर में अपना शेष जीवन मनुष्यों की लालसाओं के अनुसार नहीं बल्कि परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार बिताओ।
3 क्योंकि तुमने पहले ही बहुत समय गैरयहूदियों की इच्छा के अनुसार काम करने, कामुकता, लालसाओं, मतवालेपन, रंगरेलियों, पियक्‍कड़पन और घृणित मूर्तिपूजा में पड़कर गँवा दिया है।
4 वे इस बात से चकित होते हैं कि तुम अब ऐसे भारी दुराचार में उनका साथ नहीं देते, और इसलिए वे तुम्हारी निंदा करते हैं;
5 वे तो उसे अपना लेखा देंगे, जो जीवितों और मृतकों का न्याय करने को तैयार है।
6 क्योंकि मृतकों को भी सुसमाचार इस कारण सुनाया गया, कि शरीर में भले ही उनका न्याय मनुष्यों की रीति पर हुआ, पर आत्मा में वे परमेश्‍वर की रीति पर जीवित रहें।
7 सब बातों का अंत निकट गया है। इसलिए संयमी बनो, और प्रार्थना के लिए सचेत रहो,
8 सब से बढ़कर, एक दूसरे के प्रति गहरा प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम बहुत से पापों को ढाँप देता है।
9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि-सत्कार करो।
10 जिसको जैसा वरदान मिला है वह उसे परमेश्‍वर के अनुग्रह के विभिन्‍न‍ दानों के भले प्रबंधकों के समान एक दूसरे की सेवा में लगाए।
11 यदि कोई बोले, तो ऐसे बोले जैसे वे परमेश्‍वर के वचन हों; यदि कोई सेवा करे, तो उस सामर्थ्य से करे जो परमेश्‍वर देता है, ताकि सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर की महिमा हो, क्योंकि महिमा और पराक्रम युगानुयुग उसी का है। आमीन।
12 हे प्रियो, यह दुःख रूपी अग्‍नि जो तुम्हें परखने के लिए तुम पर आई है इससे यह समझकर आश्‍चर्यचकित होना कि तुम्हारे साथ कोई अनोखी बात हो रही है,
13 बल्कि जब तुम मसीह के दुःखों में सहभागी होते हो, तो आनंदित रहो, ताकि उसकी महिमा के प्रकट होने के समय भी तुम आनंदित और मगन हो सको।
14 यदि मसीह के नाम के कारण तुम्हारी निंदा की जाती है, तो तुम धन्य हो, क्योंकि महिमा का आत्मा जो परमेश्‍वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
15 तुममें से कोई हत्यारा या चोर या किसी प्रकार का बुरा कार्य करनेवाला या दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप करनेवाला होने के कारण दुःख उठाए;
16 परंतु यदि कोई मसीही होने के कारण दुःख उठाता है, तो वह लज्‍जित हो, बल्कि इस बात के लिए परमेश्‍वर की महिमा करे।
17 क्योंकि समय पहुँचा है कि परमेश्‍वर के घराने से न्याय का आरंभ हो; और यदि यह हमसे आरंभ होगा, तो उनका परिणाम क्या होगा जो परमेश्‍वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
18 और यदि धर्मी जन कठिनाई से उद्धार प्राप्‍त करेगा, तो भक्‍तिहीन और पापी का क्या होगा?
19 इसलिए जो भी परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए अपने आपको विश्‍वासयोग्य सृष्‍टिकर्ता के हाथों में सौंप दें।